Friday, October 14, 2011

वचनों का चमत्कार

संत दादू के पास अनेक लोग आया करते थे ताकि अपनी विभिन्न समस्याओं का समाधान पा सकें। एक संभ्रांत परिवार की एक महिला संत के पास आई और बोली, 'कोई ऐसा वशीकरण मंत्र या कवच दें, जिससे मेरा पति पूरी तरह मेरे वश में आ जाए।' दादू ने कहा, 'मेरी ताकत तो केवल ईश्वर के प्रति विश्वास है। मैं कोई तंत्र-मंत्र नहीं जानता, और न ही किसी को अंधविश्वास की राह दिखाता हूं।' पर वह महिला अड़ी रही।

दादू ने उस महिला के परिवार की सारी परिस्थितियां जानीं और एक कागज पर कुछ लिखकर उसे दे दिया और कहा, 'इसका ताबीज बनाकर गले में पहनना तथा मंत्र की सिद्धि के लिए पति की खूब सेवा तथा सहायता करना।' महिला चली गई। उसके बाद से वह अपने पति की खूब सेवा करने लगी। वह इस बात खयाल रखती कि उसके पति को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो।

उसके पति का प्रेम उस पर पहले से भी ज्यादा बढ़ गया। कई वर्ष बीत गए। एक दिन पत्नी से रहा नहीं गया। उसने उस ताबीज की बात अपने पति से कर ही दी। पति ने उसे खोलकर देखना चाहा। पत्नी बोली, 'पहले संत को दक्षिणा देंगे, तब ताबीज गले से उतारूंगी।' वे दोनों दादू के पास पहुंचे। दादू उन्हें देखकर सोचने लगे कि इस तरह ताबीजों और मंत्रों के अंधविश्वास में फंसकर तो लोग पलायनवादी हो जाएंगे और साधना की उपेक्षा करने लगेंगे।

दादू ने कहा, 'देखो भाई! इसमें कोई विशेष कुछ भी नहीं लिखा था। मैंने तुमसे जो कहा था, वही बात उस पुर्जे में लिखी हुई है।' यह कहकर संत ने ताबीज खोलकर कागज का पुर्जा पढ़ कर सुना दिया। उसमें लिखा था- 'सेवा और साधना से तो ईश्वर भी वश में हो जाता है फिर मनुष्य की बात ही क्या है!' पत्नी समझ गई कि सारा चमत्कार उन वचनों का था, जो दादू ने कहे थे।

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