Saturday, October 22, 2011

राजकोष की आय

सम्राट केतन को जब पता चला कि उनके देश की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है तो वह चिंतित हो गए। उन्होंने एक दिन राजदरबार में सभी दरबारियों को बुलाया और इसका कारण बताने को कहा। दरबारियों में से कोई भी इसका ठोस कारण नहीं बता पाया। तभी एक नवयुवक वहां आया और बोला, 'महाराज, अगर आप अनुमति दें, तो मैं राजकोष की आय कम होने का कारण बता सकता हूं।' सम्राट ने उसे इसकी अनुमति दे दी। नवयुवक ने एक व्यक्ति से थोड़ी बर्फ लाने को कहा।

कुछ ही देर बाद वहां पर बर्फ आ गई। बर्फ हाथ में लेकर वह नवयुवक बोला, 'इस बर्फ को आप एक व्यक्ति के हाथ से दूसरे व्यक्ति के हाथ में देते जाइए।' नवयुवक की बात सुनकर वह बर्फ एक हाथ से दूसरे हाथ में जाती रही और धीरे-धीरे पिघलकर बहुत कम रह गई। यह देखकर वह नवयुवक बोला, 'महाराज, जिस तरह यह बर्फ अनेक हाथों में जाने के बाद अपने वास्तविक रूप से बहुत कम रह गई है, ठीक उसी प्रकार विकास कार्यों के लिए राजकोष से जारी राशि भी अनेक हाथों से होते हुए बहुत कम रह जाती है।

कुछ पैसे बीच में ही दबा लिए जाते हैं जिससे खेती और उत्पादन के कई कार्य शिथिल पड़ जाते हैं और प्रजा तथा राज्य की आय भी कम होती जाती है।' नवयुवक का आशय समझकर सम्राट ने उसे अपने सलाहकार के रूप में नियुक्त कर दिया और भ्रष्टाचारियों को कारागार में डाल दिया। उसके बाद देश की आर्थिक स्थिति फिर से मजबूत होने लगी और प्रजा खुशहाल हो गई।

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