एक राजा ने एक दिन अपने पुरोहित से अचानक पूछा, 'मान्यवर, कृपया बताएं कि दुनिया में हो रहे इतने पाप का असली कारण क्या है? क्यों करते हैं लोग पाप?' सवाल सुनकर पुरोहित सोच में पड़ गए। बोले, 'राजन, इस सवाल का उत्तर देने में कुछ समय लगेगा। इसके लिए मुझे दो दिन चाहिए।'
राजा ने कहा, 'ठीक है, आप दो दिन ले लीजिए। अगर आपने इसका सही उत्तर दिया तो मैं आपको बहुत सा इनाम दूंगा।' पुरोहित इनाम के लोभ में और अपनी प्रतिष्ठा की खातिर सवाल का जवाब ढूंढने घर से निकल पड़े। उन्हें यह आशंका भी सता रही थी कि अगर वह उत्तर नहीं ढूंढ पाए तो राजा की नजर में गिर जाएंगे। पुरोहित दिन-रात चलते रहे और रास्ते में मिलने वाले हर साधु-मनीषी से यह सवाल पूछते रहे। लेकिन किसी का जवाब उन्हें अच्छा नहीं लगा। अंतत: वह नगर की सरहद पर पहुंचे। वहां एक गड़रिया अपनी भेड़ें चरा रहा था। पुरोहित ने जब गड़रिए से यह सवाल पूछा तो वह हंसने लगा। वह हंसते हुए बोला, 'मैं आपको इसका जवाब नहीं बता सकता। आप इस लायक हैं ही नहीं।'
यह सोचकर कि वह गड़रिया वास्तव में इस सवाल का उत्तर जानता है, पुरोहित बोले, 'मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूं। मेहरबानी कर इसका जवाब बता दीजिए।' तब गड़रिए ने कहा, 'उत्तर जानने के लिए क्या आप मेरा जूठा दूध पी सकते हैं?' पुरोहित इसके लिए सहर्ष तैयार हो गए। तब गड़रिए ने फिर हंसते हुए कहा, 'यही आपके प्रश्न का उत्तर है। आप पद, प्रतिष्ठा और इनाम के लोभ में कुछ भी करने को तैयार हो गए। ऐसे तो आप मेरा जूठा दूध कभी नहीं पीते लेकिन स्वार्थवश आप इसके लिए मान गए। लोभ के लिए व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। इसी लोभ और तृष्णा के कारण दुनिया में सारे पाप होते हैं। यह लोभ ही पाप का सबसे बड़ा कारण है।'
Tuesday, October 18, 2011
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