Tuesday, October 18, 2011

सच्ची पूजा

एक बार संत राबिया बेतहाशा सड़क पर भागी जा रही थीं। उनके एक हाथ में पानी से भरा प्याला था और दूसरे में जलती मशाल। लोगों ने उन्हें इस तरह देखा तो हैरत में पड़ गए। आमतौर पर राबिया अध्यात्म का कोई गूढ़ तथ्य समझाने के लिए विचित्र कहानियों और रूपकों का प्रयोग करती थीं, लेकिन यह आचरण उन सबसे अलग था। लोग कुछ पूछें इसकी गुंजाइश भी नहीं थी क्योंकि वह तेजी से दौड़ती जा रही थीं और साथ में कुछ कहती भी जा रही थीं। हालांकि जिस किसी ने ध्यान दिया उसने राबिया के वचनों को सुना।

वह कह रही थीं कि मैं स्वर्ग को जला देना और नरक को पानी में डुबो देना चाहती हूं। सुनने वालों को समझ में नहीं आया कि ऐसा कहने के पीछे आशय क्या है। राबिया की बात का मर्म जानने की उत्सुकता हर किसी में थी। लोग उनका सम्मान करते थे और उनकी बातें बड़ी गंभीरता से सुनते थे। इसलिए कई और लोग उनके पीछे-पीछे दौड़ने लगे। एक जगह एक बुजुर्ग फकीर ने राबिया को रोका और पूछा कि वह ऐसा क्यों करना चाहती हैं। राबिया ने कहा, 'मैं स्वर्ग को जलाना और नरक को डुबाना इसलिए चाहती हूं कि लोग सही मायने में धार्मिक हो सकें। लोग जन्नत के लालच में नेक काम करते हैं या दोजख से डर कर बुरे कामों से बचते हैं। लालच और डर जहां हों वहां ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम नहीं हो सकता। स्वर्ग और नरक नहीं होंगे तो लालच और डर मिट जाएगा और हम ऊपर वाले की बंदगी ज्यादा अच्छी तरह कर सकेंगे।'

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