Thursday, October 20, 2011

~न्यूटन का संयम~

एक बार सर आइजक न्यूटन ने लगातार कई दिनों तक दिन-रात मेहनत करके एक शोधपत्र तैयार किया। काम पूरा होने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली। वह शोधपत्र के पन्नों को एक जगह रखकर कुछ देर के लिए बाहर चले गए। जहां वह शोधपत्र रखा था, वहीं एक मोमबत्ती जल रही थी। उस समय न्यूटन का पालतू कुत्ता जैकी अकेला था।

अकेले में मोमबत्ती की परछाई को देख कर जैकी उस पर कूद पड़ा। जैकी के ऐसा करते ही जलती हुई मोमबत्ती मेज पर रखे शोधपत्र पर जा गिरी और देखते ही देखते कागजों ने आग पकड़ ली। कई दिनों की मेहनत पल भर में ही राख हो गई। कुछ ही देर बाद न्यूटन जब वापस लौटे तो यह दुर्घटना देखकर आपा खो बैठे लेकिन उन्होंने तुरंत ही स्वयं को संभाला। उन्होंने मन ही मन सोचा कि जो राख हो चुका वह तो वापस आ नहीं आ सकता फिर परेशान होने से क्या फायदा।

जैकी को नजदीक देखकर वह समझ गए कि उसी के कारण यह सब हुआ है। फिर वह जैकी की तरफ देखकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले, 'तुम क्या जानो जैकी कि तुमने मेरी मेहनत को मिट्टी में मिला दिया है। खैर, अब तो जो हो गया सो हो गया। गुस्सा या पश्चाताप करने से कुछ होगा नहीं। इसलिए बेहतर है कि मैं नए सिरे से अपना काम शुरू करूं।' न्यूटन उसी समय शोधपत्र फिर से तैयार करने में जुट गए। बाद में जिसने भी यह वाकया सुना उसने न्यूटन के धैर्य और लगन की तारीफ की।

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