एक बार फ्रांसीसी गायिका मेलिथान के पास एक गरीब-फटेहाल लड़का आया। बालक गायिका के पास आकर खड़ा हो गया। उसे पास देखकर मेलिथान बोली, 'बच्चे, तुम्हें क्या चाहिए? तुम मेरे पास क्यों आए हो?' बालक बोला, 'मैडम, मेरा नाम पियरे है। मैं आपके पास बहुत आशा से आया हूं। क्या आप मेरी मदद करेंगी?' मेलिथान बोली, 'हां बेटे, मैं तुम्हारी मदद करने की कोशिश अवश्य करूंगी। बताओ तुम्हारी क्या समस्या है?'
इस पर बालक बोला, 'मेरी मां बहुत बीमार है मगर मेरे पास उनका इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं।' यह सुनकर मेलिथान बोली, 'अच्छा तो तुम्हें मुझसे आर्थिक मदद चाहिए। बोलो मैं तुम्हारी मदद के लिए कितने पैसे दूं?' मेलिथान अपनी बात पूरी भी न कर पाई थी कि बालक बीच में ही बोला, 'क्षमा कीजिएगा मैडम, मैं आपसे मुफ्त में मदद नहीं लेना चाहता। मैं तो आपसे अलग तरह की सहायता चाहता हूं।'
नन्हे से बालक की यह बात सुनकर मेलिथान हैरान हो गई और बोली, 'कैसी सहायता चाहते हो?' पियरे बोला, 'मैडम मैं आपसे यह निवेदन करने आया था कि मैंने एक कविता लिखी है। आप मुझे उसे अपने साथ संगीत सभा में गाने का अवसर प्रदान करें और आप जो उचित समझें वह पारिश्रमिक मुझे दे दें।' नन्हे से बालक की इस बात से मेलिथान बेहद प्रभावित हुई और उसने पियरे को अपने ही कार्यक्रम में अकेले गाने का अवसर दिया।
बालक पियरे की करुण स्वर में गाई गई कविता वहां उपस्थित जनसमूह को छू गई। सभी दर्शकों की आंखें भीग गईं। वह कार्यक्रम बेहद सफल हुआ और उस कार्यक्रम में गायिका पर पैसे की बरसात हो गई। लेकिन मेलिथान ने दरियादिली दिखाते हुए वे सारे पैसे पियरे की मां को सौंप दिए और बोली, 'आपका बेटा बेहद काबिल है और वही इन पैसों का असली हकदार है। अब न सिर्फ आपकी बीमारी भाग जाएगी बल्कि आपका जीवन भी संवर जाएगा।' पियरे की मां ने मेलिथान के प्रति आभार प्रकट किया।
Thursday, October 20, 2011
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