इंग्लैंड की रॉयल अकादमी के हॉल को चित्रों से सजाने की योजना बनाई गई। इसके लिए देश-विदेश के चित्रकारों को अपने श्रेष्ठतम चित्र भेजने को कहा गया। कुछ ही दिनों में अकादमी के पास चित्रों का ढेर लग गया। अकादमी की विशेषज्ञ समिति इन चित्रों का अवलोकन करती और अच्छे चित्र छांटकर हॉल की दीवार पर लगा देती। अंत में चित्र लगाने के सारे स्थान भर गए, लेकिन छांटे गए सुंदर चित्रों में से एक बचा रह गया। इसे एक युवा चित्रकार ने बनाया था। चित्र में नयापन था और रंगों का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया था।
विशेषज्ञ समिति के एक सदस्य ने चित्र की बारीकियों पर ध्यान देते हुए कहा, 'चित्र तो वाकई खूबसूरत है, मगर इसे लगाने के लिए हमारे पास कोई जगह ही नहीं बची है, इसलिए इसे ससम्मान वापस कर दिया जाए।' इंग्लैंड के विख्यात चित्रकार टर्नर भी विशेषज्ञ समिति के सदस्य थे। उन्होंने कहा, 'अभी जगह भरी नहीं है। अब भी एक स्थान बचा हुआ है, जहां यह चित्र लगाया जा सकता है।' समिति के सदस्यउन्हें आश्चर्य से देखने लगे। टर्नर उठे और उन्होंने अपना चित्र उतार कर उसकी जगह उस युवा चित्रकार की पेंटिंग लगा दी। हालांकि टर्नर का चित्र उस युवा चित्रकार की पेंटिंग से बहुत अच्छा था। टर्नर ने कहा, 'युवा चित्रकार को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, क्योंकि इससे दुनिया को एक महान कलाकार मिलने की राह खुलती है।' युवा चित्रकार को इस सचाई का पता बहुत बाद में चला। काफी प्रसिद्ध होने के बाद भी वह आजीवन अपनी सफलता का श्रेय टर्नर को ही देता रहा।
Tuesday, October 18, 2011
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