संयुक्त राज्य अमेरिका के एक नौजवान ने परिश्रमपूर्वक इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उसने एक अच्छी नौकरी की तलाश आरंभ की। उसकी नजर में कई कंपनियां थीं, लेकिन उसने केवल ऐसी जगह आवेदन किया, जहां उसे काम सीखने और नई चीजें जानने का अच्छा मौका मिलने की उम्मीद थी।
जब वह उस कंपनी के कार्यालय में गया तो उसे बताया गया कि वहां तो मात्र एक टाइपिस्ट की जगह खाली है। नौजवान के पास थी तो इंजीनियरिंग की डिग्री, किंतु उसने भविष्य में बेहतर अवसरों की आशा में टाइपिस्ट की नौकरी करने के लिए तत्काल हां कर दी। उसे उसी दिन से काम करने को कहा गया, मगर वह चार दिन बाद आने का वादा कर चला गया।
चार दिन बाद जब उसने काम संभाला तो कंपनी के मैनेजर ने पूछा, 'आप पहले तो तत्काल काम करने को आतुर थे, फिर चार दिन बाद क्यों आए?' नौजवान ने उत्तर दिया, 'मुझे टाइप करना अच्छी तरह नहीं आता था। इसलिए इन चार दिनों में मैंने टाइपिंग का अच्छा अभ्यास किया और मुझे विश्वास है कि अब मैं यह काम करने में पूरी तरह सक्षम हूं।'
अपने काम को पूरी तन्मयता व दक्षता से करने की इस आदत ने ही उस नौजवान को अंतत: संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर पहुंचाया। उसका नाम था- हर्बर्ट क्लार्क हूवर। हूवर का कहना था, 'सौंपे गए किसी भी कार्य को मन की संपूर्ण लगन से करने पर उसके बेहतर परिणाम सामने आते हैं। इसलिए जो भी काम हाथ में लें, उसे पूरी दक्षता के साथ करें।'
Friday, October 14, 2011
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