एक व्यक्ति अपनी बेकारी से परेशान था। वह लगातार प्रयास कर रहा था पर उसे कोई काम नहीं मिल पा रहा था। उसकी इस हालत में उसके दोस्तों-रिश्तेदारों ने भी उसका साथ छोड़ दिया था। हालांकि इसके बावजूद वह व्यक्ति निराश नहीं था। उसकी यह दशा देखकर एक चोर को दया आ गई। चोर ने उस व्यक्ति से कहा, 'तुम मेरे साथ चलो, चोरी में मेरी मदद करो, बहुत धन मिलेगा। तुम्हारी हालत सुधर जाएगी।' काफी सोच-विचार के बाद वह बेकार व्यक्ति इसके लिए तैयार हो गया। उसने चोर साथी से कहा, 'मुझे चोरी करने की कला तो आती नहीं है, करूंगा कैसे?' चोर ने कहा, 'इसकी चिंता न करो, मैं सब सिखा दूंगा।'
दोनों गांव से दूर खेतों की ओर चल दिए। चोर ने वहीं एक खेत से पके हुए अनाज काटने का मन बनाया। वैसे तो रात में उधर कोई रखवाली नहीं थी, तो भी चोर ने अपने नए साथी को खेत की मेड़ पर खड़ा कर दिया ताकि वह निगरानी करता रहे कि कोई देख तो नहीं रहा है। चोर स्वयं खेत काटने लगा। नए चोर ने थोड़ी ही देर बाद आवाज लगा दी, 'भाई, जल्दी करो, यहां से भाग चलो, खेत का मालिक पास ही खड़ा देख रहा है, मैं तो भागता हूं।'
चोर खेत छोड़कर उठ खड़ा हुआ और भागने लगा। कुछ दूर जाकर दोनों खड़े हुए तो चोर ने साथी से पूछा, 'मालिक कहां था, कैसे देख रहा था?' साथी ने कहा, 'ईश्वर हम सबका मालिक है। इस संसार में जो कुछ है, उसी का है। वह हर स्थान पर मौजूद है और सब कुछ देखता है। मेरी आत्मा ने कहा कि ईश्वर यहां भी मौजूद है और हमारी चोरी को देख रहा है। ऐसी दशा में हमारा भागना ही उचित था।' चोर पर इस बात का ऐसा गहरा प्रभाव पड़ा कि उसने सदा के लिए चोरी करना छोड़ दिया। जल्दी ही दोनों को मन लायक काम भी मिल गया।
Friday, October 14, 2011
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