बात द्वितीय विश्वयुद्ध के शुरुआती दिनों की है। हिटलर की नाजी सेना का तांडव जारी था। उसने फ्रांस की राजधानी पैरिस को अपने कब्जे में ले लिया था। शहर में हर तरफ नाजियों ने कहर बरपाना शुरूकर दिया था। हर मकान की तलाशी ली जा रही थी।
उन दिनों विश्वविख्यात चित्रकार पिकासो पैरिस में ही रह रहे थे। एक दिन उनके अपार्टमेंट में भी गेस्टापो (खुफिया पुलिस) वाले आ धमके। उस समय पिकासो अपनी एक पेंटिंग को पूरा करने में जुटे थे। गेस्टापो के लोगों ने पिकासो के पूरे घर का चप्पा-चप्पा छान मारा। आखिर वहां कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिसे वे आपत्तिजनक पाते। पिकासो उनकी हरकतों को देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। फिर एकाएक गेस्टापो के लोगों ने कमरे की दीवार पर टंगी पेंटिंग 'गुएर्निका' को देखा। इस पेंटिंग में जर्मन लड़ाकू विमानों द्वारा स्पेनिश गृह युद्ध के दौरान बास्क शहर पर की जाने वाली बमबारी का चित्रण किया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने गुएर्निका को देखकर पिकासो से पूछा, 'ये तुम्हारा काम है?' पिकासो थोड़ी देर तक चुप रहे। फिर उन्होंने कहा, 'नहीं, ये तुम्हारा काम है।'
अधिकारी को पहले कुछ नहीं सूझा फिर उसने कड़कदार आवाज में पूछा, 'तुम्हें इस काम से क्या लाभ हासिल होता है?' पिकासो ने उस अधिकारी के कंधे पर हौले से हाथ रखा और बोले, 'जो तुम कर रहे हो, उससे तो दुनिया का हर काम बेहतर है, फिर तुम्हारे ऐसा पूछने का क्या मतलब है?' यह सुनकर वह अधिकारी निरुत्तर हो गया। वह चुपचाप अपने लोगों के साथ चला गया।
Thursday, October 13, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment