पोलैंड के दार्शनिक थे- ट्वायिंस्की। वह अपने विचारों के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। लोग उनका बेहद सम्मान करते थे। एक दिन जोरों से बारिश हो रही थी। ट्वायिंस्की को किसी जरूरी काम से जाना था। जब वह घर से निकले, तो एक कुत्ता कहीं से भीगते हुए उनके पास आ पहुंचा और उनके प्रति स्नेह जताने लगा। ट्वायिंस्की ने भी प्रेम का जवाब प्रेम से दिया और उसे दुलारने लगे। इसी समय ट्वायिंस्की के एक मित्र वहां आ पहुंचे। उन्हें भी ट्वायिंस्की के साथ जाना था। वह यह दृश्य देखकर चकित हुए कि ट्वायिंस्की कुत्ते के साथ खेल रहे हैं और कुत्ता उनकी ओर उछल-उछलकर उनके कपड़े को गंदा कर रहा है।
उसने ट्वायिंस्की से थोड़ा खिन्न होकर कहा, 'भाई, आप भी गजब आदमी हैं। अभी हमें जरूरी काम से निकलना है और आप इस कुत्ते से खेलने में लगे हुए हैं। यह आपके कीमती कपड़ों को गंदा कर रहा है और आप इसे भगाने के बदले प्यार कर रहे हैं।'
ट्वायिंस्की ने मुस्कराते हुए कहा, 'मित्र यह कुत्ता मुझे आज पहली बार मिला और इसने बड़ी आत्मीयता प्रकट की। इसकी भावनाएं प्रशंसनीय हैं। यदि मैं अपने कीमती कपड़ों के मोह में इसे हटा दूं तो इसकी आत्मीयता को बहुत ठेस लगेगी। इसके प्यार के सामने कीमती कपड़ों का कोई मूल्य नहीं। कपड़े फिर मिल जाएंगे। रहा काम तो, वह भी कभी हो ही जाएगा। लेकिन यह आत्मीयता क्या दोबारा हासिल हो सकती है? प्रत्येक प्राणी भगवान की कृति है, इसलिए सभी में ईश्वर का वास मानकर उसके प्रति स्नेह व्यक्त करना चाहिए।'
Friday, October 14, 2011
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