Thursday, October 13, 2011

फकीर की सलाह

एक बार एक राजा अचानक बीमार हो गया। राजवैद्यों ने उसकी चिकित्सा की, पर राजा स्वस्थ नहीं हुआ। उन्हीं दिनों कहीं दूरदराज से एक फकीर उस राज्य में आ पहुंचा। वह राजा को देखने आया। उसने राजा से कहा, 'राजा, तुम्हें शारीरिक नहीं, मानसिक अस्वस्थता है।' राजा ने फकीर के इस कथन से सहमति जताई। राजा ने कहा, 'मैं हर समय चिंताग्रस्त, तनावग्रस्त, अवसाद और कुंठा से घिरा हुआ हूं। यही मेरा सबसे बड़ा रोग है। क्या तुम मुझे मेरे रोग से मुक्त कर सकते हो।'

फकीर ने कहा, 'राजन, यदि तुम्हें ठीक होना है तो अपने सैनिकों, सभासदों और मंत्रियों से कह दो कि वे ऐसे किसी व्यक्ति को ले आएं, जो सफल भी हो, शांत भी हो और पर्याप्त समृद्ध भी। यदि ऐसा कोई व्यक्ति मिल जाए और वह तुम्हें स्पर्श कर दे तो तुम स्वस्थ हो जाओगे।' राजा के सैनिक, सभासद, मंत्री थक-हार कर लौट आए। वे अपने साथ एक भी ऐसा आदमी नहीं ला पाए, जो समृद्ध, शांत और सफल हो। उन्हें कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिसने अपनी ओर से दावा किया हो कि वह मानसिक स्तर पर संतुष्ट है।

यह देखकर फकीर ने कहा, 'राजन, मुझे तो पहले ही पता था कि ऐसा इंसान मिलना मुश्किल है, जो शांत भी हो और सफल एवं समृद्ध भी। इनमें से एक ही चीज मिल सकती है। राजन, अब तुम खुद फैसला करो कि तुम्हें अपनी जिंदगी के लिए क्या चाहिए? शांति का रास्ता चाहिए या समृद्धि का? शांति का रास्ता तुम्हें ईश्वर की तरफ ले जाएगा और समृद्धि का रास्ता भोग-विलास की ओर मोड़ेगा। यदि तुम ईश्वर के मार्ग पर चलना चाहते हो तो धन के प्रति मोह का त्याग करना होगा। यदि समृद्धि का मार्ग अपना चाहते हो तो शांति की उपेक्षा करनी पड़ेगी। दोनों चीजें एक साथ नहीं रह सकतीं।' राजा ने धन का मोह छोड़ने का फैसला किया।

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