स्टॉकहोम में पैदा हुए अल्फ्रेड नोबेल बचपन से ही अत्यंत जिज्ञासु व प्रतिभाशाली थे। उन्होंने डाइनामाइट नामक विस्फोटक का आविष्कार किया, जो चट्टानें तोड़ने और बंदूक आदि की गोलियां बनाने के काम आया। नोबेल ने इस विस्फोटक को बनाने में बहुत मेहनत की थी। अथक परिश्रम के बाद ही उन्होंने इसमें सफलता पाई थी। इस विस्फोटक के उत्पादन के लिए उन्होंने एक कारखाना लगाया था। अचानक एक दिन उस कारखाने में भयंकर विस्फोट हुआ और पूरा कारखाना उड़ गया।
इस दुर्घटना में नोबेल के भाई की मृत्यु हो गई। नोबेल को अपने भाई से गहरा लगाव था। वह उसके बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। भाई की मृत्यु ने उन्हें बुरी तरह झकझोर दिया था। कई दिनों तक वह पागलों की सी स्थिति में बैठे रहते थे। धीरे-धीरे उन्होंने स्वयं को संभाला। एक दिन वह अपने एक मित्र से बोले, 'काश, मैं विध्वंस के साधन की जगह किसी रोग या महामारी से बचाने वाले जीवनरक्षक साधन का आविष्कार करता। ऐसे में मेरे भाई के साथ-साथ अनगिनत निर्दोष लोग असमय ही मौत का शिकार नहीं बनते।'
मित्र ने उन्हें समझाया और आगे बढ़ने को प्रेरित किया। किंतु वे कारखाने में हुई मौतों का जिम्मेदार स्वयं को समझने लगे थे। वे इसके लिए पश्चाताप की आग में जलने लगे। उन्होंने अपने जीवन में लगभग 90 लाख डॉलर की राशि अर्जित की थी। मृत्यु से पहले उन्होंने इस राशि से शांति के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार शुरू करने की घोषणा की। इस तरह विश्व के सबसे बड़े सम्मान नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत हुई।
Friday, September 30, 2011
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