चिन्मय कुमार घोष उर्फ श्री चिन्यम का जन्म 27 अगस्त 1931 को ईस्ट बंगाल (अब बांग्लादेश) में हुआ। वह आध्यात्मिक गुरु, लेखक, कवि और दार्शनिक थे। उन्होंने बचपन में ही माता-पिता को खो दिया था और पांडिचेरी में श्री अरबिंदो आश्रम में दर्शन, बांग्ला और अंग्रेजी की पढ़ाई की। वह ध्यान को ज्ञान प्राप्ति का जरिया मानते थे। 1964 में वह अमेरिका चले गए। उन्होंने अपनी जिंदगी के 43 साल पश्चिमी देशों में बिताए। उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने 1500 किताबें और करीब डेढ़ लाख कविताएं लिखीं और दो लाख पेंटिंग्स बनाईं। उनके कुछ विचार निम्न हैं-
- जो प्रेम करता है, वह कभी बूढ़ा नहीं होता। भगवान इसका उदाहरण है।
- अगर आप खुद को भगवान का बच्चा कहते हैं, तो दूसरे भी भगवान के बच्चे हैं।
- आप स्वीकार करें या न करें, भगवान का आपके लिए प्यार स्थायी है।
- आप उससे नफरत करते हैं, जिसे आप वाकई प्यार करना चाहते हैं, लेकिन कर नहीं पाते। यह प्यार का एक नकली रूप है।
- अगर आप कभी भी नफरत के खिलाफ लड़ने की सोचें तो एक ही हथियार है - प्रेम।
- दुनिया में शांति हो सकती है, अगर ताकत से प्यार की बजाय प्यार की ताकत पर फोकस किया जाए।
- खुद के प्रति ईमानदार होना, जिंदगी का सबसे मुश्किल इम्तिहान है।
- शुद्ध और आध्यात्मिक प्रेम कोई मांग या उम्मीद नहीं करता।
- प्यार को कभी भी डर का खौफ नहीं होता। खौफ को हमेशा प्यार का डर होता है।
- दया एक-दूसरे से फैलती है। आज आप किसी पर दया करेंगे तो कल वह आप पर दया करेगा और परसों किसी और पर।
- मृत्यु अंत नहीं है, यह रास्ता है। जिंदगी मुसाफिर है और आत्मा गाइड है।
- हर इंसान के प्रति नम्र रहें और उसके प्रति दया दिखाएं क्योंकि हर इंसान को खुद से लड़ना पड़ता है।
- इंसान में कई दैवीय गुण होते हैं, लेकिन उसके आत्मबलिदान के बराबर कोई नहीं होता।
- जब आपको लगता है कि फेल होने में कोई शर्मिंदगी या तकलीफ नहीं है, बल्कि ऐसा होना नैचरल है तो सारा डर गायब हो जाता है।
- अंदरूनी शांति के लिए कोई भी कीमत बड़ी नहीं है।
- नफरत और गरुर से जिंदगी छोटी होती है। शांति और प्यार से जिंदगी लंबी होती है। सादगी और दया से जिंदगी मजबूत होती है।
Thursday, September 29, 2011
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