अंग्रेजी के चर्चित लेखक डी. एच. लॉरेंस का जन्म 11 सितंबर को 1885 में हुआ था। लॉरेंस के उपन्यास और कविताएं बीसवीं शताब्दी के शुरुआती सालों में चर्चा के केंद्र में रहे। लॉरेंस की मौत 44 साल की उम्र में फ्रांस में हुई। तब वे लेडी चैटर्लीज लवर्स जैसा उपन्यास लिखकर खासे विवाद में थे। पेश हैं उनके विचार...
-जीवन खर्च करने के लिए है, रेजगारी की तरह बचाए रखने के लिए नहीं।
-मेरा जीवन जीने में बहुत गहरा यकीन है ताकि रात को जब सोऊं तो किसी तरह का मलाल न रहे।
-हमारी आत्मा को रोटी से ज्यादा सुंदरता की दरकार होती है।
-अपनी प्रकृति को अच्छी तरह पहचाने की सबसे बेहतर सीख हमें जानवरों से मिलती है।
-मैं आजमा कर देखने में यकीन रखता हूं ताकि चीजों के प्रति अपनी नापसंदगी को जान सकूं।
-हमेशा अपने को दुनिया के बनाए मानकों में किसी तरह अंटाने की बजाय दुनिया का अपने मानकों के भीतर अंटाओ।
-हम सब एक तरह से झूठे हैं, क्योंकि हमारे आज का सच आने वाले कल में झूठ साबित हो जाता है।
-जब मैं आज के किसी आदमी के मुंह से यह सुनता हूं कि वह अकेला महसूस कर रहा है तो मुझे पता लग जाता है कि दरअसल उसने वह दुनिया खो दी है जो उसने अपने लिए बनाई थी।
-जो आंखें नहीं देख पाती, दिमाग जिसे जज्ब नहीं कर पाता, वह बात उस आदमी के लिए होती ही नहीं।
-इंसान सबसे जिज्ञासु प्राणी है। उसे लगता है कि उसकी एक आत्मा भी है। सच यह है कि एक इंसान की उसकी दर्जन भर से ज्यादा तो आत्माएं होती हैं।
-सपने विचारों से निकले हैं या विचार सपनों की उपज हैं, यह कहना मुश्किल है।
Thursday, September 29, 2011
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