पैगंबर मोहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। इन्होंने पढ़ाई-लिखाई बिल्कुल नहीं की, इसलिए इन्हें उम्मी कहा जाता है। जब वह 40 बरस के थे तो अल्लाह के फरिश्ते जिबरइल के जरिए अल्लाह ने अपना पैगाम पैगंबर को भेजा, जिसे पैगंबर ने दुनिया के सामने रखा। बाद में खलीफा अबू बकर ने पैगंबर के पैगामों को एक पुस्तक की शक्ल दी जिसे पवित्र कुरानशरीफ कहा जाता है। कुरान का मूल संदेश है कि अपने रब को हमेशा याद करो, जिसने तुम्हें पैदा किया और सारा संसार बनाया।
- हमेशा सच बोलो और ईमानदारी बरतो। सिर्फ रुपये-पैसे की नहीं, रिश्ते-नातों में भी ईमानदारी बरतो।
- पड़ोसियों का ध्यान रखो। उन्हें भूखा और दुखी न रहने दो। इसमें यह नहीं देखना कि वह किस जात, समाज व धर्म का है। औरत हो या मर्द या बच्चे, सभी की मदद करो।
- जो यतीम हों, जिन के सिर पर बाप का साया न हो, उनसे प्रेम से पेश आओ। ऐसे बच्चे के सिर पर प्यार से हाथ फेरने या सहलाने से तुम्हें बेहद पुण्य मिलेगा।
- विधवाओं का पूरा ध्यान रखो। अगर कोई एक विधवा का भी ध्यान रखता है तो उसे पूरी उम्र इबादत में लगाने और पूरी उम्र रोजे रखने के बराबर फल मिलेगा।
- औरतों का हक अदा करो। इनका ध्यान रखो और देखभाल करो। मां, बीवी, बहन व लड़कियों का ख्याल रखो व सेवा करो, वरना तुम्हें अल्लाह के घर में जवाब देना पड़ेगा।
- अपने मां-बाप की आज्ञा का पालन करो, उनकी देखभाल और सेवा करो।
- बच्चों को हमेशा तालीम दिलाओ कि वे बड़ों की इज्जत करना और छोटों व गरीबों से प्रेम करना सीखें।
- हमेशा अपने से नीचे वालों को देखकर जीवन जियो। अपने से ऊपर वालों को देखकर जीने से भटक जाओगे।
- जेहाद का असली मतलब अपने मन की कामनाओं और वासनाओं को मारना और उन पर जीत पाना है।
- शिक्षा जिस किसी से भी मिले ले लो, चाहे वह मुस्लिम हो या गैर-मुस्लिम।
- हरेक के साथ वैसा ही बर्ताव करो, जैसा तुम अपने लिए चाहते हो। अपनी जुबान पर नियंत्रण बनाए रखना इसके लिए बहुत जरूरी है।
- हर काम का फल नीयत के अनुसार ही मिलता है। हर काम अल्लाह के लिए करो। दान-पुण्य आदि प्रशंसा पाने के लिए मत करो।
- धर्म के मामले में जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए। हरेक को अपनी मर्जी से धर्म अपनाने का हक है। धर्म के मामले में लड़ाई नहीं होनी चाहिए।
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