Friday, September 30, 2011

कपड़े बेशक गंदे हों, आत्मा साफ होनी चाहिए

वही करो, जो सही हो। यह कुछ लोगों को अचंभे में डाल देगा तो कुछ को संतुष्ट कर देगा।

कोई भी इंसान उससे ज्यादा कभी ईमानदार नहीं हो सकता, जब वह कहे कि मैं झूठा हूं।

अपनी रजामंदी के बिना कोई भी शख्स आराम या आनंद की स्थिति में नहीं होता है।

कोई इंसान अपनी बातचीत में जिन विशेषणों का इस्तेमाल करता है, उन्हीं से उसके चरित्र की पहचान होती है।

आपके कपड़े बेशक गंदे हों, लेकिन आत्मा साफ होनी चाहिए।

हेल्थ की किताब पढ़ते हुए सावधानी बरतें। गलत छपाई की वजह से आपकी जान भी जा सकती है।

जो इंसान पढ़ता नहीं है और जो पढ़ नहीं सकता (अनपढ़), उसमें कोई फर्क नहीं है।

एक गोल आदमी से एक रात में चौकोर डिब्बे में घुसाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इसके लिए उसे अपनी शेप बदलने का वक्त देना होगा।

उम्र मसले के ऊपर सोच का मामला है। अगर आप सोचेंगे नहीं तो यह कोई मसला ही नहीं है।

गुस्सा एक ऐसा तेजाब है, जो जिस बर्तन में डाला जाता है, उससे कहीं ज्यादा नुकसान उस बर्तन को पहुंचाता है, जिसमें वह होता है।

मुंह खोलकर हर शक को मिटा देने से चुप रहकर बेवकूफ समझे जाना कहीं बेहतर है।

हर चीज की अपनी सीमा होती है। लोहे को सोना नहीं बना सकते।

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