Thursday, September 29, 2011

भरोसा प्यार के लिए पहला कदम होता है

मशहूर साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लम्ही गांव में हुआ था। वह कायस्थ परिवार से थे। उनका असली नाम धनपत राय था। उन्हें नवाब राय के नाम से भी जाना जाता था। प्रेमचंद की शुरुआती पढ़ाई मदरसे में हुई थी, जहां उन्होंने उर्दू की पढ़ाई की। वह आधुनिक हिंदी और उर्दू के महान भारतीय लेखकों में से एक थे। आसान भाषा उनके लेखन की सबसे बड़ी खूबी थी। लेखन में अपने बेहतरीन योगदान के कारण उन्हें ' कलम का सिपाही ' भी कहा जाता था। उन्हें उपन्यास सम्राट की समाधि भी दी गई। 1899 से 1921 तक उन्होंने स्कूल में अध्यापक के रूप में पढ़ाया। उन्होंने अनेक चर्चित कहानियां, उपन्यास और नाटक लिखे। गोदान, मनोरमा, निर्मला, गबन और कायाकल्प उनके प्रसिद्ध उपन्यासों में हैं। 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया था।

- गरीब की जोरू सबकी भाभी होती है। गरीब की पत्नी से हर कोई मजाक ही करता है।

- औरत सब कुछ बर्दाश्त कर लेगी पर अपने मायके की बदनामी नहीं।

- जैसे कायरता संक्रामक होती है वैसे ही बहादुरी या वीरता भी संक्रामक होती है।

- जीवन में सफल होने के लिए ज्ञानवान और शिक्षित होना जरूरी है, सिर्फ डिग्रियां लेना काफी नहीं होता।

- सुंदरता को गहनों की जरूरत नहीं होती, क्योंकि कोमलता गहनों का बोझ सहन नहीं कर सकती।

- भरोसा प्यार के लिए पहला कदम होता है।

- सुखभोग की लालसा आत्मसम्मान का सर्वनाश कर देती है।

- जब किसी कौम की औरतों में गैरत नहीं रहती तो वह कौम मुरदा हो जाती है।

- अपना उल्लू भी सीधा कर लेने और नेकनाम भी बने रहने को असली लीडरी कहते हैं।

- घड़ी-भर श्रृंगार के लालच के लिए विपत्ति सिर पर लेना मूर्खों का काम है।

- जिन हालातों में पुरुष दूसरों को दबाता है, वैसे ही हालात होने पर स्त्री शील और विनय की देवी हो जाती है।

- प्रलोभन देकर अच्छी-से-अच्छी गवाहियां मिल सकती हैं, और पुलिस के हाथ पड़कर तो निकम्मी-से निकम्मी गवाहियां भी देववाणी का महत्व प्राप्त कर लेती हैं।

- शादी-विवाह इंसान नहीं बल्कि भाग्य की बात है, जिससे ईश्वर ने, या उसके नायबों, ब्राह्माणों ने तय कर दी, उससे हो गई।

- हाय रे मनुष्य के मनोरथ, तेरी भित्ति कितनी अस्थिर है। बालू से बनी दीवार तो वर्षा में गिर जाती है पर तेरी दीवार तो बिना पानी-बूंद के ढह जाती है। आंधी में दीपक का तो कुछ भरोसा किया जा सकता है पर तेरा नहीं। तेरी अस्थिरता के आगे तो बालकों का घरौंदा अचल पर्वत जैसा है।

- प्रकृति की उपासना ने ही यूरोप के बड़े-बड़े कवियों को आसमान पर पहुंचा दिया है। यूरोप में होते तो आज इनके दरवाजे पर भी हाथी खड़ा नजर आता।

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