किसी आश्रम में अनेक छात्र रहते थे। उनमें से एक छात्र को अपनी बुद्धि पर काफी अभिमान हो गया था। एक दिन गुरु ने उसे एक कथा सुनाई- घने जंगल में एक बकरी रहती थी। वह अपने को काफी चतुर मानती थी। उसके शरीर पर घने नर्म लंबे बाल थे, जिस कारण वह बहुत सुंदर दिखती थी। एक दिन वह घास चर रही थी। तभी कुछ शिकारियों की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने उसका पीछा करना शुरू किया। बकरी भागती हुई जंगल में एक ऐसी जगह पहुंची, जहां अंगूर की घनी बेलें थीं। बकरी बेलों के पीछे जाकर छिप गई।
जब पीछा करते शिकारी पहुंचे, तो वे बकरी को देख न सके। बड़ी देर तक वहां ढूंढने के बाद वे आगे बढ़ गए। बकरी अपनी चतुराई पर बहुत प्रसन्न हुई। तभी उसका ध्यान अंगूर के कोमल पत्तों पर गया तो उसने अंगूर की बेल को ही चरना आरंभ कर दिया। थोड़ी देर में ही उसने सारी झाड़ी चट कर डाली। तभी शिकारी उसे ढूंढते वापस वहां आ पहुंचे ओर उन्होंने बकरी को देख लिया और थोड़ी देर पीछा करने के बाद उन्होंने उसका शिकार कर लिया। शिकारी आपस में कह रहे थे कि यदि बकरी ने वह झाड़ी साफ न की होती तो उसे पकड़ना नामुमकिन था। बकरी ने अपना आश्रय स्वयं नष्ट किया और वह शिकार हो गई। गुरु नेकथा यहीं समाप्त कर कहा, 'सफलता के नशे में मनुष्य अपना विवेक खो देता है और स्वयं को संकट में डाल लेता है। इसलिए अहंकार से बचना चाहिए।' शिष्य गुरु का आशय समझ गया।
Friday, November 4, 2011
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