Friday, November 4, 2011

नेपोलियन की उदारता

नेपोलियन बोनापार्ट के आदेश से फ्रांसीसी तट पर अंग्रेजों के जहाज पकड़ लिए गए। जहाज पर सभी लोगों को बंदी बना लिया गया। उनमें एक 17 वर्ष का लड़का लेनार्ड भी था। उसे भी जेल में डाल दिया गया। कुछ दिनों बाद उसे समाचार मिला कि उसकी मां बहुत बीमार है। बचने की आशा नहीं थी। मां की आखिरी इच्छा लेनार्ड को देखने की थी। वह उसी रात मां को याद करता हुआ जेल से भाग निकला, लेकिन थोड़ी ही दूर जा पाया था कि पकड़ा गया। अगले दिन उसने दोबारा भागने का प्रयास किया, पर फिर से पकड़ लिया गया। इस बार उस पर बहुत सख्ती की गई, पांवों में बेड़ियां डाल दी गईं और नेपोलियन को शिकायत की गई।

लेनार्ड को नेपोलियन के सामने पेश किया गया। नेपोलियन ने लड़के से पूछा, 'ऐसी कौन सी वजह है कि तुम बार-बार यहां से भागने का दुस्साहस करते हो?' लेनार्ड ने रोते हुए कहा, 'मेरी मां मर रही है, मरने से पहले मुझे देखना चाहती है।' नेपोलियन ने जेलर को बुलाकर कहा, 'इस लड़के के घर जाने का इंतजाम करवाओ।' जेलर चौंक गया। नेपोलियन ने कहा, 'हैरान होने की बात नहीं है। इसके चेहरे से साफ लग रहा है कि इसे मां की ममता अपनी ओर खींच रही है। नेपोलियन इतना कठोर नहीं कि मां की ममता की कद्र न कर सके। इसे जाने दो।' नेपोलियन की उदारता देखकर वह लड़का उसके आगे नतमस्तक हो गया। नेपोलियन खुद मां के स्नेह के लिए हमेशा बेचैन रहा। यह उसी का परिणाम था।

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