Friday, November 4, 2011

संकल्प

एक बार नानक काशी के पास एक गांव में प्रवचन कर रहे थे। प्रवचन के बीच में उन्होंने कहा , सफलता के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आशावादी होना चाहिए। प्रवचन खत्म होने के बाद एक भक्त ने पूछा , गुरु जी , क्या किसी चीज की आशा करना ही सफलता की कुंजी है। नानक ने कहा , नहीं , केवल आशा करने से कुछ नहीं मिलता। मगर आशा रखने वाला मनुष्य ही कर्मशील होता है। लेकिन उस आदमी की समझ में ये बातें नहीं आ रही थी। उसने कहा , गुरु जी , आप की गूढ़ बातें मेरी समझ में नहीं आ रही हैं। उस समय खेतों में गेहूं की कटाई हो रही थी। तेज गर्मी पड़ रही थी। नानक ने कहा , चलो मेरे साथ। तुम्हारे प्रश्न का जवाब वहीं दूंगा।

नानक उस आदमी को अपने साथ लेकर खेतों की तरफ चले गए। उन्होंने देखा कि एक खेत में दो भाई गेहूं की कटाई कर रहे थे। बड़ा भाई तेजी से कटाई करता आगे था दूसरा भाई पीछे था। नानक उस आदमी के साथ वहीं एक आम के पेड़ के नीचे बैठ गए। दोपहर हो गई थी। छोटा भाई बोला , भइया , आज तो पूरी कटाई हो नहीं पाएगी। अभी बहुत बाकी है , कल सुबह आकर काट लेंगे। बड़े भाई ने कहा , अब ज्यादा कहां बचा है। देखता नहीं , थोड़ा ही तो रह गया है। इन दो कतारों को काट लेंगे तो बाकी बारह कतारें रह जाएगी। इतना तो आराम से काट लेंगे। कल पर क्यों टालता है। बड़े भाई की बात सुन कर छोटा भाई जोश में आ गया और उसका हाथ भी तेजी से चलने लगा। थोड़ी देर में पूरा खेत कट गया। खेत कटने के बाद नानक वहां से चलने लगे तो भक्त ने कहा , मेरे प्रश्न का उत्तर तो शेष है। नानक ने कहा , तुम्हारे प्रश्न का जवाब तो उन दोनों भाइयों ने दे दिया जो खेत में गेहूं काट रहे थे। बड़ा भाई आशावादी था , तभी तो कटाई पूरी हुई। भक्त को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया।

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