Friday, November 4, 2011

खुशी का राज

एक बार एक सज्जन पंडित जवाहरलाल नेहरू से मिलने आए और बोले, 'यदि आप इजाजत दें तो मैं आपसे कुछ पूछना चाहता हूं।' नेहरू जी ने सहर्ष इसकी अनुमति दे दी। उनकी सहमति मिलने पर उस सज्जन ने कहा, 'आप इस उम्र में भी एकदम ताजा गुलाब की तरह स्वस्थ और आकर्षक नजर आते हैं जबकि आपके ऊपर काम का अत्यधिक बोझ है। लेकिन आपको तो देखकर लगता है कि आप पर जैसे उम्र का कोई असर ही नहीं है।

अपनी प्रसन्नता का रहस्य हमें बताएं।' यह सुनकर नेहरू जी हंसकर बोले, 'अरे भाई, यह तो बहुत ही सहज है। कोई भी व्यक्ति यदि केवल तीन बातों पर ध्यान दे तो वह भी हमेशा ताजा गुलाब की तरह तरोताजा रह सकता है।' उस सज्जन ने पूछा, 'वे कौन सी तीन बातें हैं। हमें भी तो बताइए।' नेहरू जी ने कहा, 'सबसे पहली बात तो यह कि मैं बच्चों से घुल-मिल जाता हूं, उन्हें प्यार करता हूं। उनके भोलेपन और मासूमियत में मैं स्वयं को भी उन्हीं के जैसा महसूस करता हूं।

कभी-कभी बच्चों के साथ बच्चा बनकर खेलने में बहुत आनंद आता है और दिल को सुकून मिलता है। दूसरी बात, मैं कुदरत के सुंदर दृश्यों से गहरा संबंध रखता हूं। पहाड़, नदी, झरने, पक्षी, चांद, सितारे, हरे-भरे जंगल और हवाएं भी मेरी जिंदगी को गुलाब की तरह ताजा रखती हैं। प्रकृति से तो स्वास्थ्य का बहुत गहरा संबंध है। तीसरी बात, ज्यादातर लोग छोटी-छोटी किस्म की बातों में फंस कर तनावग्रस्त हो जाते हैं। मैं ऐसा नहीं करता।

जिंदगी को लेकर मेरी सोच और नजरिया बिल्कुल अलग है। जीवन है तो समस्याएं भी होंगी। इसलिए सबका मुकाबला धैर्य और शांति से करें। यह जान लीजिए कि समस्याएं हमेशा रहेंगी। अगर हम उनसे डरकर तनावग्रस्त हो जाएं तो हमारा जीवन संकटग्रस्त हो जाएगा।' नेहरू जी की बात से वह सज्जन संतुष्ट हो गए।

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