जूतों की एक प्रसिद्ध कंपनी ने विदेश में अपना कारोबार फैलाने की योजना बनाई। इसके लिए मालिक ने अपनी कंपनी के एक सेल्समैन को पड़ोस के एक देश में जूतों के इस्तेमाल का जायजा लेने भेजा। सेल्समैन उस देश में जगह-जगह घूमा और उसने वहां हर चीज के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की। फिर वह वापस स्वदेश लौटकर आया और कंपनी के मालिक से बोला, 'मैंने वहां जगह-जगह घूम कर हर चीज का बारीकी से मुआयना किया और अंत में इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि वहां पर जूते की कंपनी खोलने के बारे में सोचना भी बेकार है क्योंकि वहां तो लोग जूते पहनते ही नहीं हैं। अब भला जो जूतों के बारे में जानते ही न हों वे उसकी खरीदारी कैसे करेंगे?'
मालिक ने इस पर कुछ नहीं कहा और दूसरे सेल्समैन को भी यही पता करने भेजा। दूसरा सेल्समैन तत्काल चला गया। उसने वहां से लौटकर अपने मालिक से कहा, 'बहुत ही अच्छी खबर है। वहां हमारा व्यापार बहुत अच्छी तरह जम जाएगा क्योंकि वहां के लोग जूते नहीं पहनते। बस एक बार हमें उन्हें जूतों का महत्व समझाना होगा। जब सभी लोग जूतों के महत्व को समझ जाएंगे तो वे इन्हें जरूर खरीदना चाहेंगे। ऐसे में हमारी कंपनी को वहां बहुत लाभ होगा। इसके बाद हमारी कंपनी वहां स्थायी रूप से स्थापित हो सकती है।' मालिक ने तुरंत वहां कंपनी खोली और उस सेल्समैन को वहां का मैनेजर बना दिया और कहा, 'दुनिया सकारात्मक सोच से आगे बढ़ती है। सकारात्मक सोच वाला ऊंचाइयों पर पहुंच जाता है।'
Friday, November 4, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment